रविवार, 17 अगस्त 2008
कृषि प्रधान देश
भारत कृषि प्रधान देश है लेकिन किसानों की दुर्दशा को देखकर ये कहना गतल नहीं होगा की भारत कूर्सी प्रधान देश बन गया है । देश की जनसंख्या का लगभग ८० फीसदी लोग गांवों में रहते है । जनसंख्या जिस रफ्तार से बढ़ी है वैसे में उसका पेट भरने के लिए अनाज के उत्पादन में सुधार तो हुआ है लेकिन दूसरी तरफ विडंबना ये भी है कि किसानों को खेती से लाभ तो दूर पूंजी वापस होना मुश्किल हो रहा है । नेता जो उनकी रहनुमायी करने का दावा कर संसद में जाता है, किसानों को ही भूल गए हैं । ऐसा क्यों है , शायद देश के नीति निर्धारण करने वाले नेताओं को लगता है कि देश की तरक्की खेतीबारी से संभव नहीं है । बजट में कृषि के लिए बड़ी बड़ी योजनायें बनाई जाती हैं, लेकिन वो सब के सब फिसड्डी साबित होती हैं। अफसोस की बात है कि भारत में अबतक ऐसा कोई नेता नहीं हुआ जो किसानों के हितों को ईमानदारी से संसद के पटल पर रखा हो या फिर घोषित योजनाओं की विफलता पर चिन्ता जाहिर करता हो। किसानों के नाम पर बड़े बड़े नेता पैदा हुए सब के सब किसानों को ठगने का ही काम किया है। इसलिए किसान जागरूक होकर एक समूह में खेती शुरू करें तो कई मुश्किलें बिल्कुल आसान हो जाएगी। इसलिए मेरा मानना है की खेती को उन्नत बनाकर रोजगार पैदा करने की खास जरुरत है । अगर आप आधुनिक खेती और इससे संबंधित रोज़गार के बारे में कोई जानकारी चाहते हैं तो हमें बताएं मैं आपकी हर सम्भव मदद करूँगा
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